UKSSSC पेपर लीक : उत्तराखंड के युवाओं का आक्रोश, परीक्षा निरस्ति व निष्पक्षता की माँग…
1 min read
यह रही एक समाचार की रिपोर्ट — आप इसे आगे एडिट करके इस्तेमाल कर सकते हैं:
शीर्षक: UKSSSC पेपर लीक : उत्तराखंड के युवाओं का आक्रोश, परीक्षा निरस्ति व निष्पक्षता की माँग
देहरादून से रिपोर्ट
उत्तराखंड में UKSSSC (उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग) द्वारा आयोजित परीक्षा में कथित पेपर लीक की घटना ने युवाओं में भारी आक्रोश भड़काया है। परीक्षा के प्रारंभ होने के कुछ ही समय बाद प्रश्न पत्र की तीन पृष्ठों की तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे हजारों अभ्यर्थी नाराज हो गए हैं।
Watch Full Video:
https://www.facebook.com/share/v/1WFk877oFz/
क्या हुआ?
- परीक्षा 21 सितंबर 2025 को हुई थी।
- परीक्षा शुरू होने के करीब 30 मिनट के अंदर परीक्षा केंद्र से तीन पन्नों की तस्वीरें लीक हो गईं।
- मुख्य आरोपी खालिद मलिक (Khalid Malik) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उसने परीक्षा केंद्र में एक मोबाइल फोन छुपाया था और फोटो अपनी बहन सबिया को भेजीं।
- अनुसंधान के लिये सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है, जिसका नेतृत्व एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय/प्रधान न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में होगा।
युवाओं की प्रतिक्रिया
- “उत्तराखंड बेरोज़गार संघ” सहित कई छात्र संगठन देहरादून के Parade Ground पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
- युवाओं की माँगें हैं:
- परीक्षा को रद्द किया जाए, यदि यह पाया जाए कि लीक से उन अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ मिला हो।
- CBI जांच हो, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मामला निष्पक्षता से सुलझे और दोषियों को दण्ड मिले।
- आगे की भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, परीक्षा केंद्रों में सुरक्षा उपायों की कड़े निगरानी, मोबाइल जैमर आदि का समुचित उपयोग हो।
सरकारी दायित्व और कार्रवाई
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धमि ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और “cheating mafia” को समाप्त किया जाएगा।
- मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने SIT गठित करने की पुष्टि की है।
- UKSSSC ने कहा है कि वह जांच के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा उपायों की समीक्षा करेगा।
चुनौतियाँ और सवाल
- क्या यह लीक एक अकेली घटना है या यह परीक्षा केंद्रों में सुरक्षा प्रणालियों की समग्र विफलता है?
- क्या मोबाइल जैमर व अन्य सुरक्षा उपकरण पूरी तरह से काम कर रहे थे? कहीं Negligence तो नहीं हुई?
- यदि परीक्षा रद्द की जाती है, तो कितने अभ्यर्थियों की मेहनत और तैयारी प्रभावित होगी? क्या सरकार उन्हें समयबद्ध पुनःपरीक्षा का भरोसा दे पा रही है?
निष्कर्ष
यह मामला युवा समाज के लिए सिर्फ एक परीक्षा की अनियमितता नहीं है, बल्कि विश्वास की लड़ाई है — यह विश्वास कि अगर आप मेहनत करोगे, ईमानदारी से तैयारी करोगे, तो आपका मेहनत सफल होगी। सरकार के लिए यह समय है कि वह सिर्फ बयानबाज़ी न करे, बल्कि त्वरित, पारदर्शी और न्यायसंगत कार्रवाई करके यह दिखाए कि राज्य व्यवस्था युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती।

This website online is known as a walk-via for all the data you wanted about this and didn’t know who to ask. Glimpse right here, and you’ll undoubtedly uncover it.